Shayari bhool gaya hu main November 26, 2014 लफ्ज़ों के सहारे अक्सर मुशायरे जीत लिया करते थे पर अब तो जैसे खंडहरों का बुत हो गया हूँ मैं, शायरी भूल गया हूँ मैं। यूँ तो हमने लोगों से हमेशा ही नज़रें चुराईं थी लेकिन दीदार-ए-... Read more